बीजापुर तुषावाल घटना: ईसाइयों पर लगातार धमकियाँ, पुलिस क्यों चुप?

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शीर्षक: बस्तर में ईसाई समुदाय पर लगातार हमले: पुलिस क्यों चुप है?


तिथि: 19 नवंबर 2025


मुख्य विषय:

बस्तर संभाग के जिला बीजापुर क्षेत्र, तुषावाल ग्राम पंचायत में 19 नवंबर 2025 को एक गंभीर घटना सामने आई। ईसाई धर्म मानने वाले लोगों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की गई और उन्हें लगातार जान से मारने की धमकी दी गई। पीड़ित लोग थाने गए, लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की।


पुलिस का कहना था कि यदि हम आरोपियों को जेल भेजेंगे, तो वे जेल से छूटकर और अधिक प्रताड़ना करेंगे। ऐसे में पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है और सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में है।


घटना का विवरण:

घटना की जानकारी i D Y O अंतर कलीसिया युवा संगठन, बस्तर संभाग के माध्यम से सामने आई। मीडिया प्रभारी प्रशांत लवली जॉन ने बताया कि यह हमला स्थानीय लोगों और ईसाई समुदाय के लिए एक गंभीर खतरा है।

पीड़ित परिवारों के अनुसार, रात के समय घरों में घुसकर सामान तोड़ा गया, और धमकियों का सिलसिला जारी रहा। उन्होंने थाने जाकर शिकायत दर्ज करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों कानून व्यवस्था इस प्रकार की घटनाओं पर कार्रवाई करने में विफल रही?


पुलिस की प्रतिक्रिया पर सवाल:

क्या यह न्याय है कि पुलिस पीड़ितों की शिकायत दर्ज नहीं कर रही?

अगर पुलिस ने कार्रवाई की होती, तो क्या अपराधियों के हौसले टूट जाते या वे और अधिक हिंसक हो जाते?

क्या सुरक्षा का अधिकार केवल डर और खतरे के कारण सीमित हो रहा है?

क्या हमारी कानून व्यवस्था सभी नागरिकों के लिए समान रूप से काम कर रही है?

ये सवाल न केवल पीड़ितों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं|


ईसाई समुदाय पर बढ़ते हमले:

भारत के कुछ क्षेत्रों में ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय लगातार प्रताड़ना और धमकियों का सामना कर रहे हैं। बस्तर की यह घटना इसी सिलसिले में एक उदाहरण है।

सामाजिक रूप से ऐसे हमले समुदाय के विश्वास और मनोबल पर गहरा असर डालते हैं। लोग डर के कारण अपनी धार्मिक स्वतंत्रता को openly practice करने से डरते हैं। यह न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि समाज में भय और असमानता फैलाने की कोशिश भी है।


कानूनी और सामाजिक पहल:

कानून के तहत हर नागरिक को सुरक्षा और न्याय का अधिकार है। लेकिन अगर पुलिस कार्रवाई से डरती है या भ्रष्टाचार और दबाव के कारण जिम्मेदारी नहीं निभाती, तो यह समस्या और गंभीर हो जाती है।


सामाजिक संगठनों, मीडिया और नागरिकों को मिलकर आवाज उठाने की जरूरत है। इस प्रकार की घटनाओं को highlight करना और जवाबदेही की मांग करना समाज की जिम्मेदारी है।


सोचने की बात:

क्या हम ऐसे मामलों पर सिर्फ चुप्पी साधकर रहने वाले समाज बनना चाहते हैं?

क्या कानून और व्यवस्था केवल तभी काम करेगी जब हम सवाल उठाएंगे और न्याय की मांग करेंगे?

क्या हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी नागरिक अपने धर्म के कारण डर महसूस न करे?

ईसाई समुदाय के लोग लगातार इस तरह की धमकियों और हमलों का सामना कर रहे हैं। ऐसे समय में सिर्फ समाचार पढ़कर पीछे हटना पर्याप्त नहीं है। समाज के हर हिस्से को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून सबके लिए समान रूप से लागू हो।


निष्कर्ष:

बस्तर में हुई यह घटना सिर्फ एक isolated incident नहीं है। यह larger societal issue की तरफ इशारा करती है—जहां अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए हमारी कानून व्यवस्था को सक्रिय होना चाहिए।



स्रोत: i D Y O अंतर कलीसिया युवा संगठन, बस्तर संभाग, मीडिया प्रभारी: प्रशांत लवली जॉन

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